Tuesday, 23 July 2013
प्रेम रोग नहीँ है
प्रेम रोग नहीँ है
तो क्या है..???
हर रोज
सपने मेँ
वो मिलता है
साथ मेरे
मुस्कुराता है
फिर एक
मीठी लौरी
वो गुनगुना के
मुझे सुला के
चुपके से
खिसक जाता है
.........अशोक अरोरा
1 comment:
Anju (Anu) Chaudhary
24 July 2013 at 02:14
सपनों की बाते और यादे सपनों तक ही रह गई
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सपनों की बाते और यादे सपनों तक ही रह गई
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