Friday 6 January 2012

ये सोचना अब तुम को है...



मैं मानता हूं की तुम को अभी वक़्त नहीं
अपने ही ख्यालों में हो तुम्हे फुर्सत नहीं जानम||

मेरी ख्वाईश है बस इतनीइधर तुम  देख लो जानम
आंखें चार हो ना हो, पर एक नज़र तुम देख लो जानम||

कौन कहता है कि, तुम हमसे बात करो 
बात करो ना करो पर, मेरे ख़त को तुम देख लो जानम||

गिरफ्तार हूं मोहब्बत में तेरी, बीमार हूं तेरा
तसल्ली के लिए मेरी, हाल मेरा तुम पूछ लो जानम||

घर मेरा उजड़ा हुआ है, उसे आबाद करो या ना करो
मेरे घर, मेरी तन्हाई कोएक बार आ के तुम देख लो जानम||

जैसा भी हूं, बीमार-ए-मोहब्बत हूं, आशिक हूं, मैं दीवाना हूं तेरा
कब मेरा  होना है तुम को ये अब तुम सोच लोजानम....|| 


.........अशोक अरोरा..........