Tuesday, 30 July 2013

यादोँ का मौसम...



फिर चली पुरवाई

तन्हाई का आलम लौटा आया

भीगने लगी पलकेँ मेरी

उनकी यादोँ का मौसम लौटा आया

हर सू मस्ती ही मस्ती थी पर

मेरे दिल मेँ..

दर्द फिर पुराना लौटा आया

लाख समझाया खुद को मैँने

पर सोते मेँ

खवाब फिर पुराना लौटा आया

.......अशोक अरोरा

Friday, 26 July 2013

वो भी एक शमा है....











  




एक सच्ची बात
तुम्हेँ सुनाता हूँ
एक घर मेँ
फिर एक नया
जन्म हुआ था
हर ओर खुशी का
आलम था
सब नाचे गाये थे
उसने भी
हुड़दंग मचाया था 
कुछ दिन गुजरे 
उसने महसूस किया
प्यार उसका था 
बटा हुआ
जीवन पथ पर
चलते चलते
ना जाने कब 
कब वो बड़ा हुआ
सब का ख्याल
रखना यही मंत्र था 
उसको सिखाया गया 
उसने देना सिखा था
बाकी सब ने
लेना सिखा था
जब उनकी 
उसे जरुरत थी 
तब सब ने उस से  
मुँह फेरा था
तब मुझे शमा की
याद आयी
जो खुद को
रोज जलाती है
कतरा कतरा
पिघलती है
तिल तिल कर
जो मरती है
खुद मिट जाती है
पर हर दिल
रोशन करती है
वो भी अशोक
एक शमा है
जो खुद के
रिश्तोँ की
आग मेँ
जलता है
और जलने का
अभिशाप
साथ लिये
फिरता है

.....अशोक अरोरा 

Thursday, 25 July 2013

रीढ़ वहीन.....


घायल तन है 

घायल मन है 

घायल हर एक 

सपना है 

मंजिल भले ही 

कठिन है मेरी 

हिम्मत अब भी 

ज़िन्दा है 

जीवन पथ पर 

मुझ को 

मिलोँ दूर 

निकलना है 

रीढ़ वहीन 

इस समाज की

सुप्त सँवेदनाओँ को 

फिर से 

जीवन देना है.. 

...अशोक अरोरा

Tuesday, 23 July 2013


प्रेम रोग नहीँ है

प्रेम रोग नहीँ है

तो क्या है..???

हर रोज

सपने मेँ

वो मिलता है

साथ मेरे

मुस्कुराता है

फिर एक

मीठी लौरी

वो गुनगुना के

मुझे सुला के

चुपके से

खिसक जाता है

.........अशोक अरोरा


मुझे लौटा दे......


गुनाह करते करते
अब थक गया हूँ मैँ
कुछ तो रहम कर
परवरदीगार मुझ पे
तेरी शरण मेँ अब
आ गया.... हूँ मैँ
बटोरता रहा दौलत
मैँ सारे ज़माने की
अपने सुख चैन को
ना जाने किस मोड़ पे
छोड़, आया हूँ मैँ
मुझे नहीँ चाहिये
ये दौलत
ये ऐश ओ आराम
अब तुझ से
अगर हो सके तो
मुझे लौटा दे
मेरा घरबार,
मेरा बचपन
वो गाँव फिर से
हे प्रभु...
तेरी शरण मेँ
अब आ गया हूँ मैँ
.......अशोक अरोरा