मैं मानता हूं की तुम को अभी
वक़्त नहीं
अपने ही ख्यालों में हो तुम्हे
फुर्सत नहीं जानम||
मेरी ख्वाईश है बस इतनी, इधर तुम देख लो जानम
आंखें चार हो ना हो, पर एक नज़र
तुम देख लो जानम||
कौन कहता है कि, तुम हमसे बात करो
बात करो ना करो पर, मेरे ख़त को
तुम देख लो जानम||
गिरफ्तार हूं मोहब्बत में तेरी, बीमार हूं
तेरा
तसल्ली के लिए मेरी, हाल मेरा तुम
पूछ लो जानम||
घर मेरा उजड़ा हुआ है, उसे आबाद करो
या ना करो
मेरे घर, मेरी तन्हाई
को, एक बार आ के तुम देख लो जानम||
जैसा भी हूं, बीमार-ए-मोहब्बत हूं, आशिक हूं, मैं दीवाना हूं
तेरा
कब मेरा होना है तुम को ये
अब तुम सोच लो, जानम....||
.........अशोक अरोरा..........
होना ....ना होने की कशमकश में लिखी गई दिल की कुछ बाते
ReplyDeleteबहुत खूब ..