Saturday 20 August 2011

क्यूँ ऐसा मुझको लगता है...




कौन किस का दोस्त यहाँ पर , 

ये कहना मुश्किल है |

हर चेहरे पर नकाब यहाँ पर ,

हाथ में खंजर तना हुआ है |

गौर से देखो यहाँ पे यारों,

सब मोहब्बत के मारे हैं |

इस महफ़िल में मैं तनहा हूँ,

क्यूँ 'अशोक' को ऐसा लगता है ||

.....अशोक अरोरा .......

1 comment:

  1. ye duniya aisi hi hai ....yaha koi kisi ka nahi ........sab matlab ke saahi hai........aapki rachna ne yatharthta ke bahud kareeb rakhah ai ..........badhai

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