जब सुबह सूरज की
पहली किरणों ने
मेरे माथे को चूमा तो .....
मुझे याद आया
वो सुबह-सुबह
तेरे होंठों का मेरे माथे को
चूम जाना
मेरे तन बदन में
स्फूर्ति का भर जाना ||
मुझे याद आया
वो तेरा मंदिर में जाना
घंटी बजाना और
मीठे सुरों में
आरती गाना
हम सब के लिए
उस रब को मना ||
मुझे याद आया
वो तेरा रसोई में जाना
और हम सब के लिए
पकवान बना
हम सब को अपने
हाथों से
फिर तेरा खिलाना ||
मुझे याद आया
वो मेरा स्कूल से
घर वापस आना
मेरी रहा पर
तेरा टिकटिकी लगाना
अपने हाथों से
मेरे कपड़े बदलना
मेरी स्कूल
डायरी को पढ़ना
फिर मुझ को
होमवर्क कराना ||
मुझे याद आया
वो मेरा
शरारतों का करना
तुझ को सताना
और तेरा कभी कभी
गुस्से में मुझे
झापड़ लगाना
वो मेरा रूठ जाना
और तेरा मुझे मनाना
मुझे दुखी देख
वो तेरा आंसू बहाना ॥
मुझे याद आया
वो रातों में मुझे
नींद ना आना
और मेरा घबराना
तब अपने हाथों से
तेरा मुझे थपथपाना,
वो लोरी सुनाना तब
मेरा तेरे सीने से
लिपट कर सो जाना
आज भी माँ मुझे
नींद नहीं आती है
और तेरी याद बहुत
सताती है ||
और मैं 'अशोक' सोचा करता हूँ
एक माँ ही क्यूँ ऐसी होती है.....||
..........अशोक अरोरा.........
और 'अशोक' मैं सोचा करता हूँ
ReplyDeleteएक माँ ही क्यूँ ऐसी होती है.....||
bahut sunder rachna "maa aisi hi hoti hai".aabhar