Tuesday 23 July 2013



मुझे लौटा दे......


गुनाह करते करते
अब थक गया हूँ मैँ
कुछ तो रहम कर
परवरदीगार मुझ पे
तेरी शरण मेँ अब
आ गया.... हूँ मैँ
बटोरता रहा दौलत
मैँ सारे ज़माने की
अपने सुख चैन को
ना जाने किस मोड़ पे
छोड़, आया हूँ मैँ
मुझे नहीँ चाहिये
ये दौलत
ये ऐश ओ आराम
अब तुझ से
अगर हो सके तो
मुझे लौटा दे
मेरा घरबार,
मेरा बचपन
वो गाँव फिर से
हे प्रभु...
तेरी शरण मेँ
अब आ गया हूँ मैँ
.......अशोक अरोरा

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