Saturday 1 October 2011

हम किस युग की बात करे...........

 


दिए नारी को दर्द इतने ...हिसाब नहीं
या खुदाया तेरा जवाब नहीं...
बोलो तो......
हम किस युग की बात करे...........
सत युग में भी नारी बिकी थी
तब खुद राजा ने बेचा था
त्रेता में राम हुए ...
तब भी सीता का अपहरण हुआ था
द्वापर के कृष्ण युग भी
द्रोपदी का चीरहरण हुआ..था .....
और कलयुग की बात करे तो
आज भी नारी बिकती है
अब भी अपहरण होता है
और ना जाने कितनी
बालाओं का रोज चीरहरण होता है
उस युग तो बस एक रावण ,
एक कंस था...
आज रावण ही रावण चहुँ ओर बसते है
और बहुत से दुशासन घमंड की
हूँकार भरते है
और जयदरथों की
आज कोइ कमी नहीं
हे राम,..हे कृष्ण ..
सुनलो सबकी पुकार
तुम्हें फिर आना होगा और
नारी की लाज को बचाना होगा
तुम ना आये तो फिर
हर नारी खुद ही
दुर्गा बन जाएगी
फिर कौन तुम्हे याद करेगा
कौन तुम्हे भगवान कहेगा ?
बिन तेरे इस जीवन में .....
ना उल्लास ,ना उत्सव और
ना आनंद रहेगा ...
हम तुम्हे भगवान कहते हैं ...
एक अरज है तुमसे मेरी ...
जला डालो कामवासना सबकी ....
फिर एक बार राम युग का ...
शंक नाद बजा डालो ...........|
जहां ना नारी बिके,
ना हरण, ना चीरहरण हो उसका
और दहेज़ की खातिर ना नारी का,
ना नर का शोषण हो .....
मैं जानता हूँ, तुम भी प्रभु
अब दुखी हो और मेरी अभिलाषा को पूर्ण करने की
खातिर इस नए युग के
पथ पर अग्रसर..हो.........|

........अशोक अरोरा......

1 comment:

  1. नारी मन की पीढ़ा को दर्द भरे शब्दों में ढाला है आपने ....दिल को छू गई

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