Wednesday 27 July 2011


तेरे नैनों  का पानी........

July 12, 2011 at 9:21am

कुआं  था
नदी थी
समंदर भी
हमारा था
मगर पीने को
ना अब पानी
कुआं सूखा
नदी मैली
समंदर भी तो खारा है 
और तेरे नैनो का 
पानी भी
अब मैला मैला
और ज्यादा
खारा खारा है
आओ मिल बैठे.....
और रास्ता कोई निकाले
ताकि नयी पीड़ी को हम
अमृत पिला डाले और
फिर कोई सर फिरा
ना ये कह सके
कि  'अशोक'
कुआं  सुखा
नदी मैली
समंदर भी तो खारा है
और तेरे नैनो  का
पानी भी अब
मैला मैला
और
ज्यादा खारा खारा है

....... अशोक अरोरा....... 

1 comment:

  1. आओ मिल बैढे
    और रास्ता कोई निकाले
    ताकि नयी पीड़ी को हम
    अमृत पिला डाले और
    फिर कोई सर फिरा
    ना ये कह सके
    की 'अशोक'
    कुआ सुखा
    नदी मैली
    समंदर भी तो खारा है
    और तेरे नैनो का
    पानी भी अब मिला मैला मैला
    और ज्यादा खारा खारा है


    मन के खूबसूरत भावो को लिख दिया आपने अशोक जी ...

    इस जहान...कोई किसी को सोचे
    ऐसा कभी देखा नहीं
    आप जो सोचते है
    उसे एक सही राह मिले
    ये ही दुआ है इस दिल की .
    --

    anu

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