देख क़ृष्ण 
तुझे किसी ने 
जाना हो या नहीँ
तेरे उपदेशोँ
तेरी बातोँ को
किसी ने समझा
हो या नहीँ
पर एक बात 
बिना मर्म 
जाने रिश्तोँ का... 
इस दौर मेँ 
सब की 
समझ मेँ 
आ गयी 
गली गली मेँ
आजकल यहाँ
क़ृष्ण और
राधाओँ की 
बाढ़ सी आ गयी
मोहब्बत अब 
कृष्ण... 
तेरे नाम पे 
बिकती है 
राधाओँ की लाज 
आज सरे-आम
चौराहोँ पे
लुटती है 
~अशोक अरोरा~
 

 
 
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