
मैं सफ़र में था यादों में साथ  तू   थी मेरे 
मैं सपनों में खोया था साथ तू थी मेरे 
मैं चला जा रहा था टेढ़े मेढ़े रास्तों पर
चली जा रह थी इन पर साथ तू भी मेरे||
यूँही साथ चलते  हम आ गए थे जहां
इन हसीन वादियों में  साथ तू थी मेरे 
खुला आसमां था चमक ही चमक थी
इस आसमां के तले साथ तू थी मेरे  ||
मुझ को नज़ारे मिल गए थे, मिल गयी थी बाहारें 
इन बाहारों में सनम, हर पल साथ तू थी मेरे 
हवायें चल रहीं थी तेरी जुल्फे उड़ी जा रहीं थी 
इन फ़िज़ायों में गुनगुनाते हुए साथ तू थी मेरे ||
चाँद की चांदनी भी हम को मदहोश कर रही थी 
इस चांदनी में इन मदहोशियों में साथ तू थी मेरे 
तेरे बदन की खुश्बू मुझ को महका रही थी 
इन हसीं लम्हों में मेरे सीने लगी साथ तू थी मेरे||
मुझ को तू जो मिली हर खुशी मिल गयी थी 
ये बाहारें, ये नज़ारे भी खुश थे जो साथ तू थी मेरे 
छावं में आँचल की तेरे मुझे मंजिल मिल गयी थी 
बाहें भी खुश थी मेरी,  क्यूंकि  साथ तू थी मेरे ||
दिल में मोहब्बत के अज़ब से तूफ़ान उठ रहे थे 
फूलों की महकी वादियों में जब साथ तू थी मेरे 
तुम जो मिले मुझे हर खुशी मिल गयी थी 
मेरे नसीबों की 'अशोक'  बंद मुठी खुल गयी थी 
क्यूंकि  साथ तू थी मेरे, साथ तू थे मेरे , साथ तू थी मेरे ||
.........अशोक अरोरा......
 
 
 
